उड़द दक्षिण एशिया की प्राचीन फसल है और भारत में सबसे अधिक पूजनीय दालों में से एक है।

उड़दआम तौर पर खरीफ/मानसून और गर्मी के मौसम के दौरान उगाया जाता है।

उड़द की खेती के लिए मिट्टी

भूमि की तैयारी 2-3 जुताई करके, सीढ़ी से क्रास जुताई करके भूमि तैयार कर लेनी चाहिए।

बोने की विधि

कतार में बिजाई की जा सकती है, बीजों को 5 से 6 सेंटीमीटर से अधिक गहरा नहीं बोना चाहिए।

बीज उपचार

बीज को थीरम @ 2.5 ग्राम/किलोग्राम बीज से उपचारित करना चाहिए।

बुवाई का समय

– खरीफ 1 सीज़न के दौरान: फरवरी के अंत से मार्च के मध्य तक। – खरीफ 2 सीजन के दौरान: 15 अगस्त से 31 अगस्त तक।

उर्वरक आवेदन

भूमि तैयार करने की प्रक्रिया के अंत में सभी उर्वरकों का प्रयोग किया जाना चाहिए।

खरपतवार नियंत्रण

बुवाई के तुरंत बाद बेसेलिन शाकनाशी का छिड़काव और 2 मिली बेसेलिन प्रति लीटर पानी में घोलकर सिंचाई करें।

सिंचाई

सिंचाई महत्वपूर्ण चरणों और गर्मी के मौसम में सिंचाई के पानी की उपलब्धता के आधार पर दी जानी चाहिए।